ग्वाटेमाला के पत्रकार जोस रूबेन ज़मोरा माररोक्विन, एलपेरियोडिको अखबार के संस्थापक और अध्यक्ष, को मनी लॉन्ड्रिंग और ब्लैकमेल के आरोपों में हिरासत में लिया गया है, जिन्हें ग्वाटेमाला के राष्ट्रपति और अटॉर्नी जनरल से जुड़े कथित भ्रष्टाचार के समाचार संकलन एवं प्रकाशन के लिए व्यापक रूप से प्रतिशोध के रूप में देखा जा रहा है। (रायटर / लुइस एचेवरिया)

नए वैश्विक रिकॉर्ड की ओर बढ़ रही है जेल में बंद पत्रकारों की संख्या

दुनिया भर की विभिन्न जेलों में बंद पत्रकारों की संख्या ने वर्ष 2022 में एक और रिकॉर्ड बनाया है। संघर्ष और दमन द्वारा चिह्नित इस उल्लेखनीय वर्ष में, अधिनायकवादी नेताओं ने न सिर्फ स्वतंत्र पत्रकारिता के प्रति अपने अपराधीकरण को दुगना कर दिया है, बल्कि असंतोष की आवाज़ों को दबाने और प्रेस की स्वतंत्रता को कमजोर करने के लिए बढ़ती हुयी क्रूरता को भी परिनियोजित किया है।

14 दिसंबर, 2022 को प्रकाशित

अर्लीन गेट्ज़ द्वारा / संपादकीय निदेशक सीपीजे


अत्यंतबुरेकसूरवारदेश | क्षेत्रीय दमन | जनगणनापद्धति


अपने पेशे का अभ्यास करने के लिए जेल में बंद पत्रकारों की संख्या के लिहाज से यह एक और रिकॉर्ड तोड़ने वाला वर्ष रहा है। कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स की वार्षिक जेल जनगणना ने पाया है कि 1 दिसंबर, 2022 तक 363 पत्रकारों को उनकी स्वतंत्रता से वंचित कर दिया गया था – वैश्विक रूप से यह एक नवीन  उच्च सँख्या है जो गत वर्ष के रिकॉर्ड से 20% अधिक है और बिगड़ते हुए मीडिया परिदृश्य में एक और गंभीर मील का पत्थर साबित हो रहा है।

पत्रकारों को जेल में डालने वाले प्रमुख देशों की सूचि में इस वर्ष शीर्ष पांच देश क्रमशः ईरान, चीन, म्यांमार, तुर्की और बेलारूस हैं। मीडिया को दबाने के लिए अधिनायकवादी सरकारों के बढ़ते दमनकारी प्रयासों के पीछे का एक प्रमुख कारण:  कोविड-19 से बाधित दुनिया में बढ़ते हुए असंतोष पर पर्दा डालने की कोशिश और यूक्रेन पर रूस के युद्ध से उपजी हुए आर्थिक गिरावट है।

ईरान में, कथित तौर पर ईरान के हिजाब कानून को तोड़ने के आरोप में गिरफ्तार एक 22 वर्षीय कुर्द महिला महसा अमिनी की पुलिस हिरासत में हुयी मौत के बाद भड़के विरोध प्रदर्शनों की कार्रवाई के दौरान गिरफ्तार किए गए अनुमानित 14,000 ईरानी नागरिकों में दर्जनों पत्रकार भी शामिल हैं। सितंबर के बाद से, यह प्रदर्शन देश भर में फैल गए हैं, प्रदर्शनकारियों ने महिलाओं के अधिकारों की मांग को व्यापक बनाने के लिए हड़ताल और ईरान के नेताओं को उखाड़ फेंकने की मांग की है। अधिकारियों ने रिकॉर्ड संख्या में महिला पत्रकारों को कैद किया है – विरोध शुरू होने के बाद से गिरफ्तार हुए 49 में से 22 महिलाएं हैं – महिला-नेतृत्व वाले इन विद्रोह प्रदर्शनों के दौरान समाचार संकलन एवं पत्रकारिता करने में उन्होंने जो प्रमुख भूमिका निभाई है, यह उसका एक प्रतिबिंब है।

राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शनों पर ईरान द्वारा की जा रही कार्रवाई ने इसे 2022 में पत्रकारों का दुनिया का सबसे खराब देश बना दिया है। कई तेहरान की एविन जेल में बंद हैं। (माजिद असगरीपुर / वाना (पश्चिम एशिया समाचार एजेंसी) रॉयटर्स के माध्यम से)

चीन में, अधिकारियों द्वारा सरकार की शून्य-कोविड लॉकडाउन नीतियों के खिलाफ हाल में हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान ऑनलाइन सेंसरशिप को कड़ा कर दिया गया और कई पत्रकारों को प्रदर्शनों को कवर करते समय कुछ समय के लिए हिरासत में लिए जाने की खबर है।

सीपीजे की इस आधार सामग्री ने एक अन्य विषय पर भी प्रकाश डाला है: अल्पसंख्यकों पर लगातार हो रहा दमन।

ईरान में, कुर्द समुदाय के नागरिकों ने विरोध प्रदर्शनों के खिलाफ ईरानी सरकार की जवाबी कार्रवाई का खामियाजा भुगता है, और कम से कम नौ कुर्द पत्रकार जेल में बंद लोगों में शामिल हैं। तुर्की में, अधिकारियों ने 25 कुर्द पत्रकारों को गिरफ्तार किया है जो या तो  मेज़ोपोटामिया न्यूज़ एजेंसी, या विशुद्ध रूप से महिलाओं द्वारा संचालित जिन न्यूज़ आऊटलेट, या उन उत्पादन कंपनियों में कार्यरत थे जो यूरोप में कुर्द समुदाय की दुकानों द्वारा उपयोग में लाये जाने वाली सामग्री बनाती थीं। इराक में, इस साल की जनगणना के तीनों पत्रकार इराकी कुर्दिस्तान में जेल में हैं। और चीन में, कैद किए गए कई पत्रकार झिंजियांग के जातीय उइगर हैं, वहीं बीजिंग पर मानवता के खिलाफ अपराधों में शामिल होने का आरोप लगाया गया है, क्योंकि उनके द्वारा बड़े पैमाने पर हिरासत में लेकर क्षेत्र के ज्यादातर मुस्लिम जातीय समूहों का कठोर दमन किया गया है।

पत्रकारों को कैद करना सिर्फ एक उपाय है जिससे यह साबित होता है कि कैसे सत्तावादी नेता प्रेस की स्वतंत्रता का गला घोंटने की कोशिश करते हैं। दुनिया भर में, सरकारें “फर्जी समाचार” कानूनों जैसी रणनीति भी अपना रही हैं, पत्रकारिता को अपराध बनाने के लिए आपराधिक मानहानि और अस्पष्ट शब्दों वाले कानून का उपयोग कर रही हैं, कानून के शासन की अनदेखी कर रही हैं और न्यायिक प्रणाली का दुरुपयोग कर रही हैं, और पत्रकारों तथा उनके परिवारों की जासूसी करने के लिए प्रौद्योगिकी का दुरूपयोग कर रही हैं।  

रूस से लेकर निकारागुआ और अफ़ग़ानिस्तान तक के देशों में, स्वतंत्र मीडिया संस्थानों को तबाह कर दिया गया है क्योंकि उनसे संबंधित पत्रकार निर्वासन में भाग गए हैं या उन्हें आत्म-सेंसरशिप के लिए धमकाया गया है। और जबकि दमनकारी रणनीतियों में देशों के अनुसार भिन्नता होती है, सीपीजे की जनगणना में प्रलेखित मामले आधिकारिक क्रूरता और बदले की भावना के एक सामान्य सूत्र को साझा करते हैं।

चीन और सऊदी अरब जैसे कुछ देशों का पत्रकारों को उनकी सजा पूरी होने के बाद भी हिरासत में रखने का रिकॉर्ड है। अन्य देश बेतरतीब ढंग से बेरहमी से कार्य करते हैं। उदाहरण के लिए, वियतनाम में, पत्रकार फाम दोन ट्रांग, जो राज्य के खिलाफ प्रचार प्रसार करने के लिए नौ साल की सजा काट रहे थे, को हनोई से उनके परिवार से 900 मील से अधिक दूर एक दूरस्थ जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था – परिवार के सदस्यों को नियमित रूप से जेल में जाकर कैदी से मिलने से रोकने के लिए यह एक सामान्य रणनीति है।

बेलारूस में, राष्ट्रपति अलेक्सांद्र लुकाशेंको के खिलाफ देशव्यापी विरोध का दस्तावेजीकरण करने के लिए हिरासत में लिए गए दर्जनों पत्रकारों में से एक, बेलसैट टीवी की संवाददाता कात्सियारना एंड्रीवा दो साल की जेल की अवधि पूरी करने के कगार पर थीं तभी एक अदालत ने उन्हें “गोपनीय राजकीय दस्तावेज साझा करने” के आरोप में एक और आठ साल की सजा सुनाई।

तुर्की में, जहां संवैधानिक न्यायालय ने हैटिस डूमन के लिए फिर से मुकदमा चलाने का आदेश दिया – उन्हें पहले से ही 20 साल की उम्रकैद की सजा सुनायी जा चुकी थी- पत्रकार ने इस महीने इस्तांबुल की एक अदालत को बताया कि जेल अधिकारियों ने मुकदमे से कई हफ्ते पहले उनके कानूनी दस्तावेजों और कार्य संबंधी नोटों को जब्त कर लिया था, जिससे उनके बचाव की तैयारी के अधिकार का उल्लंघन हुआ। (इससे पहले, डूमन ने सीपीजे को दिए गये एक साक्षात्कार में बताया था कि उनकी व्यक्तिगत संपत्ति जैसे डेस्क, किताबें, डायरी और यहां तक ​​कि कागज के कोरे टुकड़े भी वार्ड के छापे के दौरान ले लिए गए थे।)

अन्य प्रमुख अधिकार जो छीन लिये गये :

अत्यंतबुरेकसूरवारदेश

# 1: ईरान

1 दिसंबर तक अमिनी की मौत के बाद हुए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों पर ईरान द्वारा की गयी कार्रवाई में कम से कम 62 पत्रकारों को जेल में डाल दिया गया था। यह संख्या और भी अधिक हो सकती थी अगर प्रदर्शनों की शुरुआत के बाद हिरासत में लिए गए 21 अन्य पत्रकारों को जनगणना की तारीख से पहले जमानत पर रिहा नहीं किया जाता।

पकड़े गए लोगों में महिलाओं की संख्या अभूतपूर्व है। ईरान ने विवादित 2009 के राष्ट्रपति चुनाव के बाद के वर्षों में पत्रकारों की एक रिकॉर्ड संख्या को जेल में डाल दिया था,  2012 में 47 पत्रकारों को जेल में बंद कर दिया गया था, उनमें से सिर्फ  चार पत्रकार महिलाएं थीं।

इसके विपरीत, इस वर्ष की जनगणना में 24 महिलाओं को सूचीबद्ध किया गया है; विरोध शुरू होने के बाद उनमें से 22 को गिरफ्तार कर लिया गया था।

सूत्रों ने सीपीजे को बताया है कि एक विशेष कार्य योजना एवं प्रतिमान के तहत इस वर्ष हुयी गिरफ्तारियों के दौरान पत्रकारों के घरों पर सुबह-सुबह छापे मारे जाते थे, पुलिस उनके उपकरणों को ज़ब्त कर लेती थी और कभी-कभी हिरासत में लिए गए लोगों की पिटाई भी करती थी। कई बार उनके द्वारा संकलित कवरेज सामग्री भी गायब हो गयी है। उनके कई सोशल मीडिया खाते – एक ऐसे देश में एक प्रमुख प्रकाशन मंच जहां अधिकांश मीडिया राज्य-नियंत्रित हैं – गायब हो गए हैं, या तो सरकार द्वारा बंद कर दिए गए हैं या पत्रकारों द्वारा उनकी पत्रकारिता के लिए प्रतिशोध की आशंका से पहले ही हटा दिए गए हैं।

सलाखों के पीछे रह रहे 62 पत्रकार ईरान की जनगणना के 30 वर्षों में सीपीजे द्वारा प्रलेखित उच्चतम संख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो आसानी से इस देश के विवादित 2009 के चुनाव के बाद के पिछले कारावास रिकॉर्ड को पार कर गया है।

2020 से जेल में बंद हांगकांग के लोकतंत्र समर्थक मीडिया उद्यमी जिमी लाइ को शहर के राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत संभावित आजीवन कारावास की सजा का सामना करना पड़ सकता है। (एपी फोटो/किन चेउंग)
#2: चीन

मीडिया पर चीन की कड़ी सेंसरशिप और अपने लोगों पर इतनी व्यापक निगरानी रखने वाले इस देश में बोलने का डर विशेष रूप से जेल की आबादी के बीच पत्रकारों की सही संख्या पर शोध करने के कार्य को और मुश्किल बना देता है। उस पृष्ठभूमि के खिलाफ, देश में जेल में बंद पत्रकारों की ज्ञात संख्या में मामूली गिरावट – 2021 में संशोधित कुल 48 से 2022 में 43 तक – को स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए देश की असहिष्णुता में किसी भी तरह की ढील के रूप में व्याख्या नहीं की जानी चाहिए।

अस्पष्ट आरोपों पर कठोर सजा पाने वालों में उइघुर मूल के पत्रकारों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा शामिल है। उदाहरण के लिए, ओमर्जन हसन, झिंजियांग क्षेत्र के एक अनौपचारिक इतिहास को प्रकाशित करने के लिए 15 वर्षों की सजा काट रहे हैं। इल्हाम वेली, जुरेत हाजी, मेंटिमिन ओबुल, और मिर्कमिल एबलिमिट को 2018 से दो-मुंह वाले होने के आरोप में रखा गया है – एक शब्द चीनी अधिकारी अक्सर उन लोगों का वर्णन करने के लिए उपयोग करते हैं जिन्हें वे खुले तौर पर समर्थन करते हुए देखते हैं लेकिन गुप्त रूप से सरकार की नीति का विरोध करते हैं। 2018 के बाद से हिरासत में लिए गए संपादक मेमेटजान अब्लिज़ बोरियार पर उन किताबों के विमोचन को मंजूरी देने का आरोप है, जिन्हें बाद में चीनी अधिकारियों ने प्रतिबंधित कर दिया था। एक और परेशान करने वाली प्रवृत्ति: शिनजियांग समाचार वेबसाइट उइगरबिज के संस्थापक, इल्हाम तोहती के लिए काम करने वाले छात्रों का एक समूह उन लोगों में से हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने अपनी सजा पूरी कर ली है – लेकिन उन्हें रिहा किये जाने के बजाय तथाकथित “पुनर्शिक्षा शिविरों” में स्थानान्तरित कर दिया गया है।

लोकतंत्र समर्थक मीडिया उद्यमी जिमी लाई जैसे लोगों को बीजिंग द्वारा दंडात्मक निशाना बनाए जाने के बाद हांगकांग में स्वतंत्र मीडिया संस्थानों को खामोश कर दिया गया है। दिसंबर 2020 से जेल में बंद लाई के साथ हो रहे बर्ताव को अधिकारियों द्वारा उचित प्रक्रिया के प्रति बढ़ती अवहेलना और चीन से हांगकांग की न्यायिक स्वतंत्रता की गारंटी देने वाली “एक देश, दो प्रणाली” व्यवस्था के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है। ब्रिटेन की नागरिकता रखने वाले लाई विभिन्न आरोपों में 20 महीने की सजा पूरी करने के बाद भी अधिकतम सुरक्षा वाली जेल में हैं। 10 दिसंबर को, एक और मुकदमे की शुरुआत की प्रतीक्षा करते हुए, जो एक कठोर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत आजीवन कारावास की सजा का कारण बन सकता था, उन्हें धोखाधड़ी के आरोप में पांच साल और नौ महीने की सजा सुनाई गई थी – यहां तक ​​कि सुरक्षा परीक्षण के लिए उनकी कानूनी तैयारी हांगकांग के अधिकारियों द्वारा शहर की शीर्ष अदालत द्वारा नवंबर के फैसले के खिलाफ धक्का-मुक्की के कारण बाधित हुई थी कि उनका प्रतिनिधित्व एक ब्रिटिश वकील द्वारा किया जा सकता था।

म्यांमार के सैन्य तख्तापलट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिरासत में लिए गए पत्रकारों के एक समूह की सुनवाई के लिए पुलिस अधिकारी और वकील 12 मार्च, 2021 को यांगून अदालत के बाहर इंतजार कर रहे हैं। रॉयटर्स/स्ट्रिंगर
#3: म्यांमार

2021 में म्यांमार अप्रत्याशित रूप से सीपीजे की जनगणना पंक्ति में पत्रकारों के लिये दुनिया के दूसरे सबसे खराब देश के रूप में उभर कर सामने आया है, जब फरवरी महीने में हुए सैन्य तख्तापलट ने देश की चुनी हुई सरकार को बाहर कर दिया और नए शासन से संबंधित समाचार संकलन पर नकेल कस दी। मानवाधिकार समूह असिस्टेंस एसोसिएशन फॉर पॉलिटिकल प्रिजनर्स के अनुसार, उस जवाबी कार्रवाई में देश भर में 2,500 से अधिक लोग मारे गए और 16,000 से अधिक लोगों को राजनीतिक आरोपों के तहत हिरासत में लिया गया।

1 दिसंबर तक जेल जाने वाले म्यांमार के पत्रकारों की संख्या पिछले वर्ष की संख्या 30 से बढ़ कर कम से कम 42 हो गई, क्योंकि शासन ने पत्रकारों को चुप करवाने और देश में कुछ गिने चुने बचे हुए स्वतंत्र मीडिया संस्थानों को बाधित करने के अपने प्रयासों को दोगुना कर दिया। कई समाचार संगठन अपने हिरासत में लिए गए कर्मचारियों और स्वतंत्र पत्रकारों की पहचान करने के लिए अनिच्छुक रहते हैं, ताकि पत्रकारों को अक्सर मिलने वाली कठोर सजा से बचा जा सके।

वर्ष 2022 में हिरासत में लिए गए लोगों में से लगभग आधे को सजा सुनायी गयी उनमें से ज्यादातर को राज्य विरोधी प्रावधान के तहत जो “उकसाने” और “झूठी खबर” को व्यापक रूप से दंडित करता है के आरोप में सजा सुनाई गई थी। नवंबर में एक अन्य मामले में, पत्रकार मायो सैन सो को शासन से लड़ने वाले विद्रोही समूहों की एक सरणी, पीपुल्स डिफेंस फोर्सेज के सदस्यों से संपर्क स्थापित करने के लिए आतंकवाद के आरोप में 15 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी।

25 अक्टूबर, 2022 को एक पत्रकार को हिरासत में लेते हुए मेज़ोपोटामिया एजेंसी के वीडियो का स्क्रीनशॉट, (यूट्यूब/मेज़ोपोटामिया एजेंसी)
#4: तुर्की

वर्ष की दूसरी छमाही में 25 कुर्द पत्रकारों की गिरफ्तारी के बाद तुर्की में हिरासत में लिये गये पत्रकारों की संख्या 2021 में 18 से बढ़कर 2022 में 40 हो गई है। पत्रकारों के वकीलों ने सीपीजे को बताया कि सभी को आतंकवाद के संदेह में जेल में डाल दिया गया है – यह प्रतिबंधित कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (पीकेके) से जुड़े लोगों को चुप कराने के लिये चल रहे देश के प्रयासों का परिणाम है।

और जबकि इस वर्ष संख्या में उछाल ने वर्ष 2016 के असफल तख्तापलट के प्रयास की तुलना में कम पत्रकारों को जेल में भेजा है, तुर्की का स्वतंत्र मीडिया सरकारी शटडाउन, कब्ज़ा, और बड़ी संख्या में पत्रकारों के निर्वासित होने या पेशे से बाहर होने के लिए मजबूर है। 

अब कई लोगों को इस बात का भी डर है कि यह नवीनतम गिरफ्तारियां अगले साल के चुनावों से पहले प्रेस की स्वतंत्रता पर एक नए हमले का संकेत दे सकती हैं, विशेष रूप से तुर्की की संसद के अक्टूबर में एक विवादास्पद मीडिया कानून के अनुसमर्थन को देखते हुए जो गलत सूचना फैलाने वालों के लिए जेल की सजा को अनिवार्य करता है।

18 फरवरी, 2021 को मिन्स्क अदालत कक्ष में एक प्रतिवादी के पिंजरे के अंदर दिखाई गई बेलारूस की पत्रकार कात्सियारना आंद्रेयेवा दो साल की जेल की सजा पूरी करने वाली थी, जब एक अदालत ने उसे ‘राज्य सम्बन्धी गुप्त सूचना देने’ के आरोप में आठ साल की और सजा सुनाई। स्टेट सीक्रेट्स।’ (एपी फोटो)
#5: बेलारूस

1 दिसंबर तक बेलारूस में 26 पत्रकारों को हिरासत में रखा गया है- जो पिछले वर्ष की संख्या 19 से अधिक है। इनमें से क़रीब आधे को अभी सजा मिलनी बाकी है; इनमें से दो 10 या अधिक वर्षों की सजा काट रहे हैं। सभी ज्ञात आरोप या तो प्रतिशोधात्मक हैं या फिर राज्य विरोधी हैं, जैसे कि देशद्रोह।

यह गिरफ्तारियां लुकाशेंको की उनके विवादित 2020 के चुनाव के बाद की घटनाओं में समाचार संकलित करने वालों के खिलाफ चल रही प्रतिशोध की पृष्ठभूमि के खिलाफ हुई हैं। जिन लोगों को अभी भी हिरासत में रखा गया है उनमें पत्रकार रमन प्रतासेविच भी शामिल हैं, जिनकी गिरफ़्तारी के कारण दुनिया भर में आक्रोश फैल गया था जब बेलारूस के अधिकारियों ने उन्हें हिरासत में लेने के लिए लिथुआनिया-बाध्य एक व्यावसायिक विमान की उड़ान को बेलारूस की राजधानी मिन्स्क की ओर मोड़ दिया था।


क्षेत्रीय दमन :

एशिया

चीन, म्यांमार और वियतनाम में मीडिया का दमन एशिया को कैद किए गए पत्रकारों की सबसे बड़ी संख्या वाला महाद्वीप बना देता है – यह संख्या कुल 119 है। 

वियतनाम, जिसकी संख्या 21 है, स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए बहुत कम सहनशीलता दिखाता है, राज्य विरोधी अपराधों के दोषियों के लिए कठोर दंड का आह्वान करता है। अक्टूबर में, इस देश ने ले मान हा को आठ साल की जेल की सजा सुनाई है, जिसके बाद उन्हें पांच साल तक घर में हे नजर बंद रहने की सजा सुनाई गई है; अगस्त में इस देश ने ब्लॉगर ले अन्ह हंग को “राज्य, संगठनों और व्यक्तियों के हितों का उल्लंघन करने के लिए लोकतांत्रिक स्वतंत्रता का दुरुपयोग करने” के लिए पांच साल की सजा सुनाई है।

अन्य बंदियों में 2022 में सीपीजे इंटरनेशनल प्रेस फ्रीडम अवार्ड के विजेता फाम दोन ट्रांग भी शामिल हैं। ट्रांग एक कानून के तहत नौ साल की जेल की सजा काट रहे हैं जो राज्य के खिलाफ समाचार बनाने या फैलाने पर प्रतिबंध लगाता है।

सात पत्रकारों को जेल में बंद करने और मीडिया के साथ किये जा रहे बर्ताव, विशेष रूप से कश्मीरी पत्रकारों आसिफ सुल्तान, फहद शाह, और सज्जाद गुल को जेल में रखने के लिए जम्मू एन्ड कश्मीर पब्लिक सेफ्टी एक्ट नामक कानून के उपयोग पर भारत निरन्तर अपनी आलोचना करवा रहा है। यह कश्मीरी पत्रकार अलग-अलग मामलों में अदालत द्वारा आदेशित जमानत दिए जाने के बाद भी इस कानून के तहत सलाखों के पीछे हैं।

तीन पत्रकारों को कैद में बंद करने वाला देश अफ़ग़ानिस्तान 12 साल में पहली बार सीपीजे की जनगणना में शामिल हुआ है। अगस्त 2021 में तालिबान द्वारा देश का नियंत्रण वापस लेने के बाद सैकड़ों अफगान पत्रकार देश छोड़कर भाग गए; जो रुके हुए हैंउन्हें इसकी कट्टरपंथी विचारधारा के अनुरूप कभी-कभी हिंसक दबाव का सामना करना पड़ता है।

अफ्रीकीसहारा

अफ्रीकी सहारा इलाके में कैदियों की संख्या क्षेत्रीय प्रेस स्वतंत्रता की एक भ्रामक तस्वीर पेश करती है। इरिट्रिया पत्रकारों के लिये इस क्षेत्र का सबसे खराब देश  बना हुआ है, जो विश्व स्तर पर नौवें स्थान पर है। इस देश की विभिन्न जेलों में 16 पत्रकारों  को 17 से 22 साल तक की अवधि के लिए बिना किसी मुकदमे के बंद किया गया है और उन्हें उनके परिवारों या वकीलों की पहुंच से दूर रखा गया है।

वर्ष 2014 के बाद से कैमरून हर साल जेल की जनगणना में दिखाई देता है। यह इस क्षेत्र का दूसरा सबसे खराब देश है, यहाँ पाँच पत्रकार मनमाने ढंग से एक अपारदर्शी न्यायिक प्रणाली के तहत हिरासत में लिए गए हैं, प्रणाली में पत्रकारों पर मुकदमा चलाने के लिए सैन्य न्यायाधिकरणों का उपयोग करना शामिल है, जबकि अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत वे सभी नागरिक हैं।

इथियोपिया, जो पिछले वर्ष पत्रकारों के लिये इस क्षेत्र के सबसे खराब देश के रूप में नामित देश इरिट्रिया के करीब दूसरे स्थान पर था, इस साल की जनगणना के समय केवल एक पत्रकार जेल में था। (उस पत्रकार, नटनेल गेचो को 1 दिसंबर की जनगणना तिथि के बाद जमानत पर रिहा कर दिया गया था।) हालांकि, नवंबर 2020 में इथियोपिया के गृह युद्ध की शुरुआत के बाद से अधिकारियों ने रुक-रुक कर 60 से अधिक पत्रकारों को हिरासत में लिया है – जिनमें से अधिकांश को औपचारिक आरोपों के बिना लंबे समय तक हिरासत में रखा गया है। -जमीनी लड़ाई के साथ सोशल मीडिया पर गलत सूचना, दुष्प्रचार और बयानबाजी का युद्ध भी होता है। टिग्रे विद्रोहियों के नियंत्रण वाले मेकेले शहर में कम से कम पांच पत्रकारों को हिरासत में लिया गया है। वे सीपीजे की जनगणना में सूचीबद्ध नहीं हैं क्योंकि उन्हें जेल में डालने वाले जेलर गैर-राज्य नियोक्ता हैं, लेकिन यह गिरफ्तारियां संघर्ष से संबंधित समाचारों का संकलन  करने की कोशिश कर रहे पत्रकारों के लिए खतरनाक स्थितियों का संकेतक हैं।

रवांडा में, सलाखों के पीछे चार पत्रकारों में से तीन यूट्यूब पर अपना काम प्रकाशित करते हैं – यूट्यूब इस देश के कुछ शेष बचे प्रकाशन प्लेटफार्मों में से एक है क्यूंकि यहाँ पारंपरिक मीडिया के भीतर असहमतिपूर्ण भाषण के लिए स्थान नहीं  है। उन युट्यूबर में से कम से कम दो जो सलाखों के पीछे हैं, उनमें  एमेयबल कारासिरा और डियूडोने नियोनसेंगा  (जिन्हें हसन साइमा के नाम से भी जाना जाता है), को कथित तौर पर यातना और दुर्व्यवहार का शिकार होना पड़ा है।

लैटिनअमेरिका

जेल में बंद पत्रकारों की अपेक्षाकृत कम संख्या – निकारागुआ में दो , क्यूबा में एक, और  ग्वाटेमाला में एक –  इस पूरे क्षेत्र में हो रही प्रेस स्वतंत्रता की निरंतर गिरावट को स्वीकार करता है। वर्ष 2022 विशेष रूप से मेक्सिको और हैती में पत्रकारों के लिए घातक था, और कई देशों ने कानून पारित किया जिसने भाषण और पत्रकारिता के अपराधीकरण के लिए नए विकल्प पेश किए हैं।

ग्वाटेमाला में, जोस रुबेन ज़मोरा की हुयी उच्च स्तरीय गिरफ्तारी उन पत्रकारों, विशेष रूप से खोजी और स्वतंत्र पत्रकारों , अगले साल के चुनावों से पहले और अभियोजकों, न्यायाधीशों, और पत्रकारों पर चल रही कार्रवाई के बीच, जो पहले भ्रष्टाचार के मामलों को प्रकाश में लाते थे, के लिए एक डरावना संदेश भेजता है। एल पीरियाडीको के संस्थापक और अध्यक्ष, ज़मोरा, मनी लॉन्ड्रिंग, ब्लैकमेल और प्रभाव पेडलिंग के आरोपों का सामना करते हैं – आरोपों को एल पीरियाडीको द्वारा भ्रष्टाचार के मामलों पर की गयी पत्रकारिता के लिए प्रतिशोध के रूप में देखा जाता है, जिन मामलों में राष्ट्रपति अलेजांद्रो गियामाटेई और अटॉर्नी जनरल कोनसुएलो पोरस शामिल हैं। एल पीरियाडीको  ने 1 दिसंबर को प्रिंट में प्रकाशन यह कहते हुए बंद कर दिया,  कि “120 दिनों के राजनीतिक और आर्थिक दबाव” के बाद उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया था।

निकारागुआ में, हमलों, गिरफ्तारियों, और कैद की धमकियों ने देश के लगभग सभी स्वतंत्र पत्रकारों को या तो निर्वासित कर दिया है या उन्हें अपनी नौकरी से बाहर कर दिया है; ऐसी ही स्थिति क्यूबा में भी मौजूद है।

मध्यपूर्वएवंउत्तरीअफ्रीका

मिस्र और सऊदी अरब क्रमशः 21 और 11 कैदियों के साथ पत्रकारों को जेल में डालने वाले दुनिया के शीर्ष 10 देशों में शामिल हैं।

मिस्र ने, अपने मानवाधिकार रिकॉर्ड को लेकर अमेरिका और यूरोपीय संसद के दबाव में, वर्ष के दौरान व्यापक कैदी रिहाई कार्यक्रम में कुछ पत्रकारों को शामिल किया तो है, लेकिन दूसरों को हिरासत में लेना जारी भी रखा है  – उनमें से संपादक अहमद फ़ैज़ फेसबुक पर पोस्ट किये जाने को लेकर गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने अपने फेसबुक पर पोस्ट किया था कि जेल अधिकारी लंबे समय से भूख हड़ताल कर रहे पत्रकार अला अब्देलफत्ताह को जीवित रखने के लिए उन्हें जबरदस्ती बल पूर्वक भोजन करा रहे हैं।

हालांकि पिछले साल की तुलना में संख्या में थोड़ी गिरावट आई है, जब मिस्र में 25 और सऊदी अरब में 14 पत्रकार जेल में रखे गए थे, मीडिया दबाव में है और सऊदी अरब के मामले में, अभी भी पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के डरावने और डराने वाले प्रभाव का सामना कर रहा है।

कतर में, जबकि सीपीजे की जनगणना के समय किसी भी पत्रकार को उनके काम के लिए कैद नहीं किया गया था, इस साल के विश्व कप के दौरान विभिन्न मीडिया संस्थानों एवं पत्रकारों द्वारा वहां किये गये समाचार संकलन ने देश की सेंसरशिप और सख्त मीडिया कानूनों को उजागर किया है।

यूरोपएवंमध्यएशिया

रूस के प्रतिबंधात्मक नए कानूनों ने यूक्रेन पर अपने युद्ध पर कथनात्मक को नियंत्रित करने के लिए, जिसमें संघर्ष को युद्ध कहने पर प्रतिबंध भी शामिल है, ने देश के शेष स्वतंत्र मीडिया को गंभीर रूप से आहत किया है। कई रूसी पत्रकार निर्वासन में भागकर क़ैद से बच गए हैं। रूसी हिरासत में ज्ञात 19 पत्रकारों में से कई को “फर्जी समाचार” फैलाने के आरोप में 10 साल तक की सजा का सामना करना पड़ सकता है।

ताजिकिस्तान ने छह पत्रकारों को जेल में रखा है, जिससे यह मध्य एशिया में पत्रकारों को जेल में डालने वाला अग्रणी देश बन गया है।वे कैदी, जिनकी गिरफ्तारी गोर्नो-बदख्शां क्षेत्र में क्रूर सरकारी कार्रवाई के बाद हुई  इन सभी कैदियों पर अदालतों में  नहीं बल्कि गुप्त रूप से निरोध केंद्रों में बंद दरवाजों के पीछे मुकदमा चलाया गया है, और यातना के आरोपों के बीच उन्हें जेल की लम्बी सजा सुनाई गई है।

जॉर्जिया, हाल ही में अपनी लोकतांत्रिक प्रथाओं के लिए जाना जाने वाला देश, पहली बार सीपीजे की जनगणना में सूचीबद्ध हुआ है, टीवी पत्रकार नीका ग्वारामिया ने मई 2022 में साढ़े तीन साल की अपनी जेल की सजा शुरू की है।

अर्लीन गेट्ज़ कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स की संपादकीय निदेशक हैं। अब न्यूयॉर्क से कार्यरत गेट्ज़ ने ,न्यूज़वीक के लिए एक विदेशी संवाददाता, संपादक और संपादकीय कार्यकारी के रूप में अफ्रीका, यूरोप, एशिया और मध्य पूर्व से पत्रकरिता की है। सीपीजे में शामिल होने से पहले, उन्होंने रॉयटर्स में नौ साल बिताए हैं , जहां वह सेवा के ग्लोबल कमेंट्री सेक्शन की प्रभारी संपादक थीं।

जनगणनापद्धति

जेल की जनगणना केवल सरकारी हिरासत में लिये गये पत्रकारों के लिए होती है और इसमें वे शामिल नहीं होते हैं जो गायब हो गए हैं या गैर-राज्य नियोक्ताओं द्वारा बंदी बनाए गए हैं। इन मामलों को “लापता” या “अपहृत” के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

सीपीजे पत्रकारों को उन लोगों के रूप में परिभाषित करता है जो प्रिंट, फोटोग्राफ, रेडियो, टेलीविजन और ऑनलाइन सहित किसी भी मीडिया में सार्वजनिक मामलों पर समाचार या टिप्पणी को कवर करते हैं। अपनी वार्षिक जेल जनगणना में, सीपीजे केवल उन्हीं पत्रकारों को शामिल करता है जिनकी पुष्टि की गई है कि उन्हें उनके काम के सिलसिले में कैद किया गया है।

सीपीजे की सूची 1 दिसंबर, 2022 को 12:01 बजे कैद किए गए लोगों का एक स्नैपशॉट है। इसमें साल भर कैद और रिहा किए गए कई पत्रकारों को शामिल नहीं किया गया है; उन मामलों के खाते http://cpj.org पर देखे जा सकते हैं। पत्रकार सीपीजे की सूची में तब तक बने रहते हैं जब तक संगठन उचित निश्चितता के साथ यह निर्धारित नहीं कर लेता कि उन्हें रिहा कर दिया गया है या फिर हिरासत में उनकी मृत्यु हो गई है।

बेह लिह यी, अन्ना ब्राखा, शॉन क्रिस्पिन, दोजा दाउद, सोनाली धवन, असाने डायग्ने, जान-अल्बर्ट हूटसेन, आइरिस ह्सू, कुणाल मजुमदार, शेरिफ मंसूर, स्कॉट मायेम्बा, एटिला मोंग, मुथोकी मुमो, रेनाटा नेदर, ओजगुर ओग्रेट , एवलिन ओकावु, एंजेला क्विंटल, वलीउल्लाह रहमानी, येगनेह रेज़ियान, जस्टिन शिलाद, जोनाथन रोज़ेन, गुलनोज़ा सैद, नताली साउथविक, और डाने विलचेज़ द्वारा जनगणना रिपोर्टिंग।  

अर्लीन गेट्ज़, जेनिफर डनहम, नाओमी जेवेलॉफ़, एरिक क्राउच, सारा स्पाइसर, मैडलिन ईयरप, सुज़ाना गोंजालेस और टॉम बार्कले द्वारा संपादन।