जेनिफर डनहम / डिप्टी संपादकीय निदेशक, सीपीजे
पिछले 10 वर्षों के दौरान लगभग 80% पत्रकारों की हत्या के मामले में किसी को भी सज़ा नहीं हुई । यही नहीं, ऐसे मुद्दों से निपटने में सरकारें बहुत कम दिलचस्पी दिखाती हैं। सीपीजे के 2022 ग्लोबल इंप्यूनिटी इंडेक्स में ये बात सामने आई।
वैश्विक दण्डमुक्ति सूचकांक | कार्यप्रणाली
पत्रकारों की हत्या करने वाले लोगों की एक बड़ी संख्या हत्या के बाद बच निकलने में सफल है। सीपीजे 2022 ग्लोबल इंप्यूनिटी इंडेक्स के अनुसार पिछले एक दशक के दौरान वैश्विक स्तर पर काम करने वाले 263 पत्रकारों को उनकी काम की वजह से मार दिया गया और लगभग 80% मामलों में अपराधियों को कोई सजा नहीं मिली।
इस गंभीर अपराध के मामले में सोमालिया सूचकांक में लगातार आठवें साल सबसे ऊपर शीर्ष पर बना हुआ है। इसके बाद सीरिया, दक्षिण सूडान, अफगानिस्तान और इराक सूचकांक में क्रमश: शीर्ष पर बने हुए हैं। इसमें 1 सितंबर 2012 से 31 अगस्त 2022 तक की घटनाओं को शामिल किया गया है।
आपको बताते चलें कि इंडेक्स में ज्यादातर देशों ने सूचकांक में पहले भी अपना स्थान बनाया है । यह वो देश हैं जिनके टकराव का इतिहास, राजनीतिक अस्थिरता और कमजोर कानून, पत्रकारों के हत्यारो को सजा से बचाने में मजबूर भूमिका निभा रहा है।
ऐसी कोई संभावना भी नहीं दिखती कि अधिकारी कभी कोई ऐसा संसाधन भी बनाएंगे जिससे पत्रकारों को आसानी से न्याय मिल सके।
वर्ष 2022 के सूचकांक में म्यांमार पहली बार शामिल हुआ है। म्यांमार का इस सूचकांक में आंठवी रैंकिंग पर रहना सीपीजे की 1 दिसंबर, 2021 को आई जेल जनगणना की उस रिपोर्ट पर मुहर लगाती है जिसमें म्यांमार की जेलों को पत्रकारों के लिए सबसे खराब बताया गया था
फरवरी 2021 में तख्तापलट और लोकतंत्र निलंबित होने के बाद म्यांमार के सैन्य शासन ने दर्जनों पत्रकारों को जेल में डाल दिया और स्वतंत्र रिपोर्टिंग को दबाने के लिए राज्य विरोधी और झूठे समाचार कानूनों का इस्तेमाल किया।
म्यांमार में कम से कम तीन पत्रकारों की हत्या कर दी गई जिनमें से दो ऐ क्याव और सो नैइंग शामिल हैं जिन्होंने शासन के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शनों की तस्वीरें खींची जिसके बाद हिरासत में उनकी हत्या कर दी गई।
लेकिन लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार और देशों, अधिकारियों ने भी पत्रकारों की हत्यारों पर मुकदमा चलाने या प्रेस के खिलाफ हो रही हिंसा को रोकने के लिए बहुत कम राजनीति इच्छाशक्ति दिखाई है। यही नहीं, मैक्सिकन राष्ट्रपति एंड्रेस मैनुअल लोपेज ओब्रेडोर और ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो जैसे नेता लगातार मीडिया पर मौखिक हमले करते हैं। जबकि पत्रकारों को पहले से ही अपराध, भ्रष्टाचार और पर्यावरणीय मुद्दों पर अपनी महत्वपूर्ण रिपोर्टिंग के लिए लगातार खतरों का सामना करना पड़ रहा है ।
इस सूचकांक में मैक्सिको की स्थिति सबसे गंभीर देशों में से एक है। सीपीजे ने पिछले 10 वर्षों में वहां 28 पत्रकारों की हत्याओं के अनसुलझे मामलों को रिकॉर्ड किया है जो सूचकांक में शामिल देशों में सबसे ज्यादा है और यह पश्चिमी देशो में पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक है।
मैक्सिको सीपीजे के सूचकांक में छठे स्थान पर है क्योंकि देश की जनसंख्या के आकार के आधार पर रेटिंग की गणना की जाती है। इसके अलावा मैक्सिको में सामान्यीकृत हिंसा का जटिल जाल इसे और कठिन बना देता है कि पत्रकार की हत्या उसके काम की वजह से हुई या किसी अन्य वजह से। इसका मतलब यह हुआ कि अनिर्धारित मकसद से होने वाली मौतों को सीपीजे के सूचकांक में शामिल नहीं किया जाता।
वर्ष 2022 के पहले 9 महीनों में मैक्सिको में कम से कम 13 पत्रकारों की हत्या हुई जो सीपीजे की रिपोर्ट के अनुसार किसी भी देश में एक साल के अंदर सबसे ज्यादा है। इन हत्याओं में तीन मामले ऐसे रहे जिनमें पत्रकारों को राजनीतिक भ्रष्टाचार पर रिपोर्टिंग करने के लिए प्रतिशोध के तहत मार दिया गया। हत्या से पहले उन्हें धमकियां मिली थीं।
सीपीजे बाकी के 10 हत्याओं की वजह की जांच कर रहा है ताकि यह पता लगाया जा सके कि उनकी हत्या उनके काम की वजह से हुई या अन्य कारणों से।
पत्रकारों की हत्या के मामले में मैक्सिको के अधिकारियों ने इस साल गिरफ्तार किए गए संदिग्धों की बड़ी संख्या को दिखाया। राष्ट्रपति के प्रवक्ता जीसस रामिरेज ने मार्च में बताया था कि वर्ष 2022 में पत्रकारों की हत्या के सिलसिले में 16 लोगों को हिरासत में लिया गया था। वर्ष 2017 में जेवियर वाल्डेज कर्डेनस की हाई-प्रोफाइल हत्या के मामले में मास्टरमाइंड डेमासो लोपेज सेरानो को अमेरिका से प्रत्यर्पित कराने के लिए अधिकारियों ने प्रयास तेज कर दिए हैं। जेवियर वाल्डेज कर्डेनस उत्तरी मैक्सिकन राज्य सिनालोआ के आपराधिक समूह में बडे़ पद पर था। हालांकि अभी तक दोष सिद्ध नहीं हो पाया है।
इसके अलावा गिरफ्तार किए गए लोगों में से कुछ – जैसे कि 2021 में पत्रकार जैसिंटो रोमेरो फ्लोर्स की हत्या के संदिग्ध को सबूतों के अभाव में रिहा कर दिया गया।
सूचंकाक में ब्राजील नौवें नंबर पर है। लेकिन वर्ष 2022 में देश में कई ऐसी घटनाएं हुईं जिसने बताया कि यहां पत्रकारों के लिए काम करना कितना जोखिम भरा है। जून में ब्रिटिश पत्रकार डोम फिलिप्स और स्थानीय मुद्दों के जानकार ब्रूनो परेरा की अमेजॅन में हत्या की दी गई। पुलिस को शक है कि इस हत्या में उन लोगों का हाथ हो सकता है जो इस क्षेत्र में अवैध तरीके से मछली पकड़ने का काम कर रहे थे। इन हाई-प्रोफाइल हत्याओं ने इस ओर इशारा किया कि अमेजॅन और पर्यावरण जैसे मुद्दों पर रिपोर्टिंग करना कितना खतरनाक है।
इससे पहले फरवरी में रेड कमांड के नाम से जाने जाने वाले आपराधिक संगठन के कथित सदस्यों ने सामुदायिक पत्रकार गिवानिल्डो ओलिवेरा की हत्या कर दी थी। इसने ब्राजील के फवेलस और हाशिए पर खड़े समुदायों के लिए पत्रकारिता करने वालों की चिंता बढ़ा दी।
ब्राजील के खेल पत्रकार वेलेरियो लुइज की 2012 में एक प्रमुख फुटबॉल क्लब पर रिपोर्टिंग करने के लिए हत्या कर दी गई थी। उनकी हत्या बदला लेने के लिए की गई।
न्याय की आस में बैठे उनके परिवार को तब झटका लगा जब उनके कथित हत्यारों के लिए निर्धारित 2022 में ट्रायल की तारीखों में बार-बार देरी हुई। उनके बेटे और वकील वैलेरियो लुइज डी ओलिवरिया फिल्हो ने सीपीजे से उनकी दशक भर की लड़ाई के बारे में बात की ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उनके पिता के हत्यारों को न्याय मिले जिसे उन्होंने “कभी न खत्म होने वाला बुरा सपना” बताया।
सूचकांक में फिलीपींस सातवें नंबर पर है। राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर अब फिलीपींस के नए राष्ट्रपति हैं और उनसे आशा की जा रही है कि निवर्तमान राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते द्वारा प्रेस के उत्पीड़न, डराने और धमकाने जैसे अभियान में बदलाव आएगा।
हालांकि जून के अंत में मार्कोस जूनियर के पदभार ग्रहण करने के बाद से दो रेडियो कमेंटेटरों- पर्सिवल माबासा डुटर्टे जिन्हें मार्कोस जूनियर का मुखर आलोचक माना जाता था और रेनाटो ब्लैंको जिन्होंने स्थानीय राजनीति और भ्रष्टाचार पर रिपोर्ट की थी, की हत्याओं ने आशंका व्यक्त की है कि देश में हिंसा की संस्कृति और सजा से मुक्ति का क्रम जारी रहेगा।
इस सूचकांक में पाकिस्तान और भारत क्रमश: 10वें और 11वें नंबर पर हैं। दोनों देश सूचकांक में लगातार बने हुए हैं। सीपीजे ने पहली बार इन देशों को वर्ष 2008 में सूचकांक में शामिल किया था। रिपोर्ट में इन देशों में प्रेस के खिलाफ सजा से मुक्ति और हिंसा की वजह, प्रकृति के बारे में भी बताया गया है।
इस बार का सूचकांक 10 वर्ष का है जिसकी अवधि 1 सितंबर 2012 से 31 अगस्त, 2022 तक है। इसमें सीपीजे ने पाया कि दुनियाभर में बदला, प्रतिशोध की भावना से 263 पत्रकारों की हत्या कर दी गई थी।
इन हत्याओं में से 206 या 78% मामलों में किसी को सजा ही नहीं हुई। मतलब इन हत्याओं के लिए किसी को दोषी ही नहीं ठहराया गया। सीपीजे की पिछली सूचकांक (अवधि 1 सितंबर, 2011 से 31 अगस्त, 2021) में 81% पत्रकार की हत्याओं के मामले ऐसे थे जो सुलझ ही नहीं पाए थे।
सीपीजे सूचकांक का यह संस्करण संयुक्त राष्ट्र की उस कार्य योजना पर आंशिक रूप से सवाल उठाता है जिसमें पत्रकारों की सुरक्षा और सजा से मुक्ति पर काम करने का एक्शन प्लान तैयार किया गया था। यूएन ने पत्रकारों की सुरक्षा पर कार्यक्रम विकसित करने और प्रेस विरोधी हिंसा के मामलों में सजा दिलाने का प्लान वर्ष 2012 में शुरू किया था।
इस प्लान में पत्रकारों की सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को संभालने के लिए एक समन्वित एजेंसी तंत्र स्थापित करना, देशों को अभिव्यक्ति और सूचना की स्वतंत्रता के अनुकूल कानून और तंत्र विकसित करने में सहायता करना, मौजूदा अंतरराष्ट्रीय नियमों और सिद्धांतों को लागू करने के उनके प्रयासों का समर्थन करना शामिल है। इसका कार्यान्वयन 2013 की शुरुआत में शुरू हुआ था। इसके बावजूद सूचकांक दर्शाता है कि सजा से मुक्ति की चुनौती अभी भी बहुत बड़ी बनी हुई है।
सीपीजे और सहयोगी संगठन दुनिया भर में सजा से मुक्ति से निपटने के लिए हाल में हुई पहलों में शामिल हुए हैं। “ए सेफर वर्ल्ड फॉर द ट्रुथ” प्रोजेक्ट हत्या किए गए पत्रकारों के उन मामलों की जांच करता है जिन्हें ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है और उस मामले को लेकर नई जानकारी तो देता ही है, साथ ही उसे फिर से खोलने की वकालत भी करता है।
इस साल की शुरुआत में प्रोजेक्ट पीपल ट्रिब्यूनल में गवाहों ने वर्ष 2009 में श्रीलंकाई पत्रकार लसांथा विक्रमतुंगे की हत्या के मामले में गवाही दी। उस समय के रक्षा मंत्रालय के खिलाफ ऐसे काफी सबूत पेश किए गए जो उन्हें इस हत्या के मामले में दोषी ठहराने के लिए काफी हैं।तब देश के रक्षा मंत्रालय की कमान राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के पास थी जिन्होंने इसी साल जुलाई में अपने पद से इस्तीफा दिया ।
सीपीजे ने 2008 में इस सूचकांक की शुरुआत की थी। उसके बाद से पहली बार रूस और बांग्लादेश इस साल सूचकांक से बाहर हैं। इन दोनों देशों में क्रमशः तीन और चार अनसुलझी हत्याएं हुईं जो रिपोर्ट में शामिल करने के लिए आवश्यक पांच की कटऑफ से नीचे थीं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इन देशों में प्रेस की स्वतंत्रता या पत्रकार सुरक्षा के माहौल में सुधार हुआ है।
बांग्लादेश में डिजिटल सुरक्षा अधिनियम के तहत पत्रकारों को जेल में डालना जारी है। मुश्ताक अहमद की पुलिस हिरासत में कथित रूप से शारीरिक शोषण होता है जिसके बाद वर्ष 2021 में जेल में ही उनकी मौत हो गई।इसका सही कारण का पता नहीं चल पाया। हालांकि अहमद के सह-आरोपी कार्टूनिस्ट कबीर किशोर ने सीपीजे को बताया कि उन्हें हिरासत में प्रताड़ित किया गया था।
पत्रकारों की हत्याओं के लिए रूस लंबे समय से दुनिया के सबसे खराब देशों में से एक है जहां आधिकारिक भ्रष्टाचार और मानवाधिकारों के उल्लंघन जैसे बीट्स पर काम करने वालों को पत्रकारों को निशाना बनाया जाता है।
वर्ष 1999 के अंत में व्लादिमीर पुतिन के सत्ता संभालने के बाद से कम से कम 25 पत्रकारों की उनके काम के लिए मार दिया गया। हालांकि हाल के वर्षों में पत्रकारों की टारगेटेड हत्याओं में कमी आई है, क्योंकि स्वतंत्र रिपोर्टिंग के लिए देश में अब बहुत कम संभावना है।
फरवरी में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद से यह भी लगभग पूरी तरह से बंद है। अधिकांश मीडिया आउटलेट कानूनी और नियामक दबाव में बंद हो गए हैं और हजारों पत्रकार रूस में प्रेस के लिए विनाशकारी कार्रवाई को देखते हुए देश से भाग गए हैं।
नोवाया गजेटा कभी रूस के प्रमुख खोजी आउटलेट्स में से एक था। वर्ष 2000 के बाद से इसके कम से कम 6 पत्रकार और कंट्रीब्यूटर्स को उनकी बहादुर रिपोर्टिंग के लिए मार दिया गया। रूस में जारी जटिल खतरों की तरह 2022 में सैकड़ों अन्य लोगों की तरह यह आउटलेट भी अब पहले की तरह काम नहीं कर पा रहा। नोबेल पुरस्कार विजेता और नोवाया गजेटा के प्रधान संपादक दिमित्री मुराटोव ने सितंबर में कहा था, “रूस में मीडिया का नरसंहार अपने निष्कर्ष पर आ गया है। सरकारी प्रचार के सामने रूसी नागरिक अकेले रह गए हैं।”
वैश्विक दण्डमुक्ति सूचकांक
Index rank | Country | Unsolved murders | Population (in millions)* | Years on index |
---|---|---|---|---|
1 | Somalia | 19 | 16.4 | 15 |
2 | Syria | 16 | 18.3 | 9 |
3 | South Sudan | 5 | 11.4 | 8 |
4 | Afghanistan | 17 | 39.8 | 14 |
5 | Iraq | 17 | 41.2 | 15 |
6 | Mexico | 28 | 130.3 | 15 |
7 | Philippines | 14 | 111 | 15 |
8 | Myanmar | 5 | 54.8 | 1 |
9 | Brazil | 13 | 214 | 13 |
10 | Pakistan | 9 | 225.2 | 15 |
11 | India | 20 | 1393.4 | 15 |
कार्यप्रणाली
सीपीजे का ग्लोबल इंप्यूनिटी इंडेक्स हर देश की आबादी के प्रतिशत के अनुसार पत्रकारों की अनसुलझी हत्याओं की संख्या की गणना करता है। इस सूचकांक के लिए सीपीजे ने 1 सितंबर 2012 से 31 अगस्त, 2022 के बीच हुई पत्रकार की ऐसी हत्याओं की जांच की जो अनसुलझी रहीं। केवल पांच या अधिक अनसुलझे मामलों वाले देशों को सूचकांक में शामिल किया गया है।
सीपीजे ने ऐसे पत्रकारों की हत्या को परिभाषित किया है जिन्हें उनके काम की वजह से मार दिया गया। सूचकांक में उन पत्रकारों के मामले को शामिल नहीं गया जो युद्ध में या खतरनाक काम के दौरान मारे गए थे, जैसे कि विरोध प्रदर्शनों की कवरेज जो हिंसक हो जाती है। मामलों को तब अनसुलझा माना जाता है जब कोई दोष सिद्ध नहीं होता है, भले ही संदिग्धों की पहचान की गई हो और वे हिरासत में हों। जिन मामलों में कुछ, लेकिन सभी संदिग्धों को दोषी नहीं ठहराया गया है, उन्हें आंशिक सजा से मुक्ति के रूप में वर्गीकृत किया गया है। जिन मामलों में संदिग्ध अपराधियों को आशंका के दौरान मार दिया गया था, उन्हें भी आंशिक सजा से मुक्ति के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
सूचकांक केवल उन हत्याओं का मिलान करता है जिन्हें पूरी तरह से सजा से मुक्त किया गया है। इसमें वे शामिल नहीं हैं जिन्हें आंशिक न्याय मिल चुका है। विश्व बैंक के 2021 विश्व विकास संकेतकों से सितंबर 2022 तक मिले डेटा के अनुसार प्रत्येक देश की रेटिंग की गणना की गई।
जेनिफर डनहम सीपीजे की डिप्टी संपादकीय निदेशक हैं। सीपीजे में शामिल होने से पहले वह फ्रीडम हाउस की फ्रीडम इन द वर्ल्ड और फ्रीडम ऑफ प्रेस रिपोर्ट के लिए शोध निदेशक थीं।