भारतीय पत्रकार राणा अय्यूब को कर अदायगी में धोखाधड़ी से संबंधित एक मामले में चल रही जाँच के कारण 29 मार्च को देश छोड़ने से रोक दिया गया था। (फोटो: मोहित वरुण)

मौत की धमकियों और पैसों की हेराफ़री के आरोप पर क्या कहती हैं राना अय्यूब 

कुणाल मजूमदार/ सीपीजे भारतीय संवाददाता (Kunal Majumder/ CPJ India Correspondent)

राणा अय्यूब, भारत के सबसे उच्च स्तरीय खोजी पत्रकारों में से एक हैं, जिनके पास न सिर्फ वाशिंगटन पोस्ट में एक कॉलम है, बल्कि उनके पास एक सबस्टैक न्यूज़लेटर है , एवं 1.5 मिलियन दर्शकों के साथ ट्विटर पर एक लोकप्रिय उपस्थिति है, इसके अलावा उनके नाम 2016 में प्रकाशित हुयी एक विवादास्पद पुस्तक है जिसमें यह आरोप लगाया गया है कि 2002 के जिन दंगों ने गुजरात में मुसलमानों की जान ले ली थी उनमें सरकारी अधिकारियों को फंसाया गया था। लेकिन हाल के महीनों में भारतीय अधिकारियों ने उन्हें अपनी पत्रकारिता से अर्जित किसी भी आय का इस्तेमाल करने से रोक दिया है।

4 फरवरी को, अधिकारियों ने मनी लॉन्ड्रिंग और कर चोरी के एक मामले में चल रही जांच के तहत छह महीने में दूसरी बार उनके बैंक खाते को इस शंका के आधार पर फ्रीज कर दिया था कि क्या अय्यूब ने COVID-19 के पीड़ितों के लिए जुटाए गए पैसे का गलत इस्तेमाल किया था। 29 मार्च को, भारतीय अधिकारियों ने इसी जांच के कारण उन्हें लंदन में एक पत्रकारिता कार्यक्रम में जाने से मना कर दिया।

अय्यूब ने सीपीजे को बताया है और सबस्टैक पर लिखा है कि उन्होंने अपने बैंक खाते में पैसे जुटाये, लेकिन उक्त धनराशि को दानार्थ उद्देश्यों के लिए वैध रूप से इस्तेमाल किया। पत्रकार समूहों सहित अय्यूब के वकीलों का मानना ​​है कि उनके खिलाफ की जा रही कार्रवाई उनकी पत्रकारिता के प्रतिशोध में है। पिछले महीने, संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूतों ने ट्विटर पर एक पोस्ट के माध्यम से भारतीय अधिकारियों से “उनके खिलाफ न्यायिक उत्पीड़न” को समाप्त करने का आह्वान किया है।

एक मुस्लिम पत्रकार, अय्यूब, जो अक्सर हिंदू दक्षिणपंथी राजनेताओं की आलोचना करती है, को अपने काम के लिए ऑनलाइन ट्रोल होने और उन्हें  धमकी मिलने  का एक लंबा इतिहास रहा है। 2018 में उनका चेहरा एक अश्लील वीडियो क्लिप में बदल दिया गया था और उस क्लिप को व्हाट्सएप के माध्यम से प्रसारित किया गया था, और पिछले एक साल में उन्हें दो मुस्लिम विरोधी ऐप में सूचीबद्ध किया गया था, जिन्होंने उन्हें ट्विटर पर प्रचारित नकली “नीलामी” में बिक्री के लिए पेश किया था।

उनके द्वारा एक ट्वीट के माध्यम से यमन युद्ध में सऊदी अरब सरकार की चल रही भूमिका की आलोचना किये जाने के बाद जनवरी में यह उत्पीड़न और बढ़ गया, जब अय्यूब को 26,000 से अधिक ट्वीट मिले, जिनमें से कई में उन्हें जान से मार देने और बलात्कार कर देने की धमकी थी। धमकियां तभी और तेज हो गयीं जब एक समाचार वेबसाइट ने एक वीडियो प्रकाशित किया जिसमें एक ट्वीट की एक छेड़छाड़ की गई तस्वीर शामिल थी, जिसमें अय्यूब द्वारा कथित रूप से यह कहा गया था, “मैं भारत से नफरत करती हूं और मैं भारतीयों से नफरत करती हूं।”

अय्यूब ने लंबे समय से यह तर्क दिया है कि उनके खिलाफ सबसे खतरनाक धमकियां भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशंसकों के बीच से ही उत्पन्न होती रहीं हैं; भारतीय समाचार पत्र द वायर की गयी एक जांच में पाया गया कि मोदी की भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिक कार्यकर्ताओं द्वारा टेक फॉग नामक ऐप का उपयोग करके अय्यूब और अन्य महिला पत्रकारों को व्यवस्थित रूप से निशाना बनाया गया था। अब उनका मानना ​​है कि सरकार अपनी इस कर अदायगी सम्बन्धी जांच के जरिये उन्हें निशाना बनाने के लिए दूसरे तरीके का इस्तेमाल कर रही है।

उन्होंने अपने सबस्टैक न्यूजलेटर पर लिखा, “सरकार की पूरी मशीनरी को मेरे खिलाफ लगा दिया गया था।”

इस मामले से सबंधित टिपण्णी लेने के बाबत सीपीजे द्वारा टेक्स्ट सन्देश के माध्यम से भेजे गये अनुरोध का भाजपा प्रवक्ता सैयद जफर इस्लाम ने कोई जवाब नहीं दिया।

अय्यूब की हालिया कानूनी परेशानियां मई 2021 में शुरू हुई, जब आयकर अधिकारियों ने कर चोरी के आरोप में उनकी जांच शुरू की। सीपीजे को दिये गये  एक साक्षात्कार में, अय्यूब ने कहा कि अधिकारियों ने यह जांच तब शुरू की, जब एक भाजपा समर्थक दक्षिणपंथी वेबसाइट ओपइंडिया ने उनके दानार्थ प्रयासों में अवैधता का आरोप लगाते हुए लेख प्रकाशित किए। अप्रैल 2020 और जून 2021 के बीच, अय्यूब ने COVID-19 महामारी से प्रभावित लोगों की मदद करने के लिए एक भारतीय ऑनलाइन चंदा जुटाने वाले प्लेटफॉर्म केटो के माध्यम से 26.9 मिलियन रुपये (US$350,000) जुटाए थे।

आयकर अधिकारियों ने उन्हें सूचित किया कि इस पूरी राशि को व्यक्तिगत आय माना जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने चंदे के माध्यम से धन जुटाने  के उद्देश्यों के लिए एक अलग खाता स्थापित करने के बजाय इस धन राशि को अपने व्यक्तिगत बैंक खाते में एकत्र किया था। (सीपीजे ने इस अधिसूचना की समीक्षा की है।) अगस्त 2021 में  उनके  बैंक खाते को तब तक फ्रीज कर दिया गया था जब तक कि उनके द्वारा  10.6 मिलियन रुपये का आयकर (यूएस $ 210,000) और साथ ही सबस्टैक से हुयी आय और एक संपत्ति की बिक्री से हुयी आय से संबंधित अतिरिक्त 4.5 मिलियन रुपये ($ 59,000) का अग्रिम कर का भुगतान नहीं कर दिया जाता है।

अय्यूब ने बताया कि उन्होंने खातों को अनफ्रीज करने के लिए विरोध के तहत करों का भुगतान किया, और वे अब अदालत में इस कराधान को चुनौती दे रही हैं। वह यह दावा भी करती है कि उन्होंने पहले ही दान पर बकाया करों का भुगतान कर दिया है जो कि  10.6 मिलियन रुपये (यूएस $ 140,000) थे।  और  मोदी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में चल रहे पीएम केयर और सीएम रिलीफ फंड में 7.5 मिलियन रुपये (यूएस $ 99,000) का दान दिया है । उन्होंने कहा कि आयकर अधिकारियों ने 50 लाख रुपये (66, 000 अमेरिकी डॉलर) जमा कर रखे हैं और बाकी की धनराशि को उन्होंने  खाद्यान्न खरीदने में खर्च कर दिया है। सीपीजे ने दान की पुष्टि के लिए पीएम केयर और सीएम रिलीफ फंड से ईमेल के माध्यम से संपर्क किया, लेकिन उसके ईमेल का जवाब नहीं मिला है।

सबस्टैक पर उन्होंने लिखा कि, “यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि राहत अभियान के फंड का कोई भी हिस्सा बेहिसाब नहीं रहता है,” और व्यक्तिगत फंड के दुरुपयोग के किसी भी दूरस्थ आरोप के लिए बिल्कुल कोई गुंजाइश नहीं है।”

अय्यूब को उनके  खाते को इस्तेमाल करने की अनुमति मिली लेकिन लंबे समय तक नहीं। उन्होंने बताया कि कुछ ही महीनों के भीतर, प्रवर्तन निदेशालय, वित्त मंत्रालय में स्थित एक वित्तीय धोखाधड़ी जांच निकाय ने COVID-19 चैरिटी अभियान के संबंध में एक और जांच शुरू की और फरवरी में उनके बैंक खाते को 180 दिनों के लिए सील कर दिया। (सीपीजे ने निदेशालय के नोटिस की भी समीक्षा की है।)

प्रवर्तन निदेशालय का नोटिस, जो विशेष रूप से 17.7 मिलियन रुपये की राशि (US$230,000) से संबंधित है, में यह  दावा किया गया है कि अय्यूब ने धन शोधन निवारण अधिनियम का उल्लंघन किया है और “आम जनता के दाताओं को धोखा देने के लिए पूर्व नियोजित इरादे से आम जनता से दान प्राप्त किया है।” इस सन्दर्भ में अय्यूब ने सबस्टैक पर कहा है कि जमा की गई राशि में उनके द्वारा किये गये लेखन और आय के अन्य स्रोतों से होने वाली कमाई भी शामिल है।  

इस सन्दर्भ में टिपण्णी के लिये प्रवर्तन निदेशालय और आयकर अधिकारियों को ईमेल के माध्यम से भेजे गये सीपीजे के अनुरोधों का जवाब नहीं मिला है।

पिछले साल सितंबर में उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा अय्यूब के खिलाफ एक हिंदू दक्षिणपंथी समूह हिंदू आईटी सेल की शिकायत के आधार पर एक प्राथमिक सूचना रिपोर्ट दर्ज किये जाने के बाद एक नई जांच शुरू हो गई थी. उक्त संगठन ने उन पर पैसे को वैध बनाने समेत उनके द्वारा संचालित COVID-19 चैरिटी अभियान पर मनी लॉन्ड्रिंग, धोखाधड़ी करने , संपत्ति की बेईमानी से हेराफेरी करने, और आपराधिक विश्वासघात करने का आरोप लगाया था। इस प्रथम सूचना रिपोर्ट में उसके व्यक्तिगत खाते में विदेशी धन प्राप्त करने का आरोप भी लगाया गया है, जिसके अनुसार कथित तौर पर उन्होंने भारत के विदेशी योगदान कानून का उल्लंघन किया है।  अयूब ने कहा है कि उन्होंने केटो को विदेशी फंड वापस करने का निर्देश दे दिया था।

हिंदू आईटी सेल के सह-संस्थापक विकास पांडे ने सीपीजे को दूरभाष पर हुयी बातचीत में बताया। “हमारे संगठन के कुछ सदस्यों ने उनके अभियान के लिए दान दिया था, लेकिन जिस तरह से उन्होंने पैसे का उपयोग किया, उससे वो  बहुत निराश थे। इसलिए हमने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।”

मुंबई में हुए एक साक्षात्कार में, अय्यूब ने सीपीजे को बताया कि उन्होंने महामारी के दौरान पैसे जुटाए क्योंकि उन्होंने उस पैसे से जरूरतमंद लोगों, और विशेष रूप से प्रवासी श्रमिकों की मदद करने की कोशिश की थी। “शुरू में मैं अपना पैसा खुद खर्च कर रही थी और फिर लोगों ने मदद करने की पेशकश करना शुरू कर दिया। फिर किसी ने सुझाव दिया कि मैं बड़े प्रभाव के लिए धन जुटाने के लिए केटो का उपयोग करूँ।” उन्होंने कहा कि “अगर मैं अपने निजी इस्तेमाल के लिए पैसे जुटाना चाहती, तो मैं इसे आसानी से कर सकती थी।”

अयूब ने अपने ऊपर लगे मनी लॉन्ड्रिंग के सभी आरोपों को खारिज किया। वह पूछती हैं कि “मैंने पैसे कहाँ से लूटे हैं?”  प्रवर्तन निदेशालय के नोटिस में धन के निजी इस्तेमाल के सबूत के तौर पर अय्यूब द्वारा दक्षिण-पश्चिम भारत में स्थित गोवा की यात्रा का हवाला दिया गया था, जिसे अय्यूब ने बेतुका बताया था। उसने कहा, “वे मुझ पर [उस] पैसे का उपयोग करके गोवा में छुट्टी पर जाने का आरोप लगा रहे हैं,” उसने कहा, यह देखते हुए कि यात्रा के लिए उनके केवल दसियों हज़ार रुपये, या केवल कुछ सौ डॉलर खर्च हुए। “क्या मैं इतना छोटा खर्च वहन करने के लिए पर्याप्त नहीं कमाती हूँ?” वह एक अदालत में प्रवर्तन निदेशालय के इस आदेश को चुनौती देने की प्रक्रिया में है।

उन्होंने मज़ाकिया लहज़े में कहा “मेरे वकील ने मुझसे वादा लिया है कि मैं कभी किसी का भला नहीं करुँगी, देखो, इस मामले ने मुझे कहाँ से कहाँ पहुंचा दिया  है।”

इस बीच, हिंदू आईटी सेल सहित कई अन्य हिंदू दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं ने अय्यूब के खिलाफ तीन राज्यों की पुलिस में कई शिकायतें दर्ज कराईं, जिसमें बीबीसी वर्ल्ड न्यूज़ के साथ 9 फरवरी को हुए उनके साक्षात्कार के संबंध में अय्यूब की जांच की मांग की गई, जिसमें अय्यूब ने दक्षिणपंथियों की भीड़ को “हिंदू आतंकवादी” कहकर सम्बोधित किया और हिजाब पहने मुस्लिम कॉलेज की लड़कियों को परेशान करने वाले प्रदर्शनकारी के रूप में सम्बोधित किया था। उनका यह साक्षात्कार दक्षिण-पश्चिमी राज्य कर्नाटक में सार्वजनिक शैक्षिक नियमावली में हिजाब पहनने को लेकर  प्रतिबंध के संदर्भ में था।

3 मार्च को, कर्नाटक में पुलिस ने अय्यूब पर इन शिकायतों के आधार पर एक जांच शुरू की और उन पर भारतीय दंड संहिता के उल्लंघन में धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य करने का आरोप लगाया। अगर आरोप तय पाया जाता है और उन्हें दोषी ठहराया जाता है, तो उन्हें कानून के अनुसार तीन साल तक की जेल और अनिर्दिष्ट जुर्माना हो सकता है। कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक प्रवीण सूद ने इस मामले पर टिप्पणी के लिए सीपीजे द्वारा ईमेल के माध्यम से भेजे गये अनुरोध का जवाब नहीं दिया।

अयूब ने अपनी पत्रकारिता जारी रखने की कसम खाई है। “मैं यह भी झेल लूंगी,” उन्होंने सीपीजे से कहा। “मैंने इससे बदतर झेल चुकी हूँ।”