न्यूज लांड्री के कार्यक्रम 'टीवी न्यूज सेंस' का एक स्क्रीन शॉट। टाइम्स ऑफ इंडिया समूह ने हाल ही में उक्त कार्यक्रम एवं एक अन्य कार्यक्रम के कारण न्यूज लांड्री पर मुकदमा दायर करते हुए यह आरोप लगाया है कि उन कार्यक्रमों से संस्था एवं कमर्चारियों की छवि को नुकसान पहुँचा है। ( तस्वीर:न्यूज लांड्री)

टाईम्स आफ इंडिया समूह के मालिकों ने मीडिया पर नज़र रखने वाली वेबसाईट न्यूज़लॉन्ड्री पर १०० करोड़ का दावा ठोका

नयी दिल्ली, जनवरी, २९, २०२१ – कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (CPJ)  ने आज कहा कि भारतीय मीडिया समूह बेनेट, कोलमैन एवं कंपनी लिमिटेड (बीसीसीएल) समाचार वेबसाइट और मीडिया वॉचडॉग न्यूज़लॉन्ड्री के खिलाफ मानहानि का मुक़दमा करके अपनी स्वयं की अखंडता को कम कर रहा है, और उन्हें तुरंत मुकदमा वापस लेना चाहिये।

न्यूज़लॉन्ड्री के सह-संस्थापक अभिनंदन सेखरी ने सीपीजे को दूरभाष पर हुए एक साक्षात्कार में बताया-

19 जनवरी को, बेनेट, कोलमैन एवं कंपनी लिमिटेड (बीसीसीएल) ने बॉम्बे हाईकोर्ट में  मानहानि का मुकदमा दायर करने के साथ एक निजी स्वामित्व वाली समाचार वेबसाइट और मीडिया प्रहरी संस्थान न्यूज़लंडी से हर्जाने के रूप में  1 बिलियन रुपये (13.7 मिलियन अमेरिकी डॉलर) की मांग की है।

सेखरी ने बताया कि बम्बई उच्च न्यायालय में दाखिल की गयी इस याचिका में भविष्य में बीसीसीएल को गंभीर रूप से कवर करने से न्यूज़लॉन्ड्री को रोकते हुए एक अंतरिम और स्थायी निषेधाज्ञा की मांग भी की गयी है, और यह भी मांग की गयी है न्यूजलॉन्ड्री अपने एक ऑनलाइन शो में से एक एपिसोड को हटा दे।  उन्होंने कहा कि बम्बई उच्च न्यायालय ने आरोपों का जवाब देने के लिए न्यूज़लॉन्ड्री को दो सप्ताह का समय दिया है।

सीपीजे और टाइम्स नाउ वेबसाइट द्वारा समीक्षा किए गए कानूनी दस्तावेजों के अनुसार, बीसीसीएल, जिसे आमतौर पर टाइम्स समूह के रूप में जाना जाता है, अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया का मालिक है।

रिपोर्ट के अनुसार यह भारत का सबसे बड़ा मीडिया समूह है, जो टाइम्स नेटवर्क के तहत पांच दैनिक समाचार पत्रों, 31 पत्रिकाओं, 32 रेडियो स्टेशनों और नौ टीवी स्टेशनों को नियंत्रित करता है।

न्यू यॉर्क में सीपीजे के कार्यकारी निदेशक जोएल साइमन ने कहा कि  “सिविल (दीवानी) मुकदमे कथित मानहानि के मामलों में निवारण पाने के लिए एक वैध मार्ग हैं, लेकिन उनका उपयोग आलोचना को रोकने के लिए नहीं किया जाना चाहिए, जो कि स्पष्ट रूप से इस मामले में दिख रहा है,”

“यह हास्यास्पद है कि टाइम्स समूह, जिसके पास अपना दृष्टिकोण देने के लिए एक बड़ा मंच है, न्यूज़लॉन्ड्री के थोड़े व्यंग्य का सामना नहीं कर सकता है। इस पर थोड़ा हंस देना ही इस मामले पर सही प्रतिक्रिया होनी चाहिये थी।”

उक्त मुकदमे में यह आरोप लगाया गया है कि न्यूज़लॉन्ड्री ने अपने दो वेब शो में बीसीसीएल, उसके प्रबंध निदेशक विनीत जैन समेत उनके प्रमुख समाचार चैनल टाइम्स नाउ के संपादकों क्रमशः नविका कुमार और राहुल शिवशंकर को बदनाम किया है।

मुकदमे की एक प्रति की सीपीजे ने समीक्षा की जिसके अनुसार इस मुकदमे में  न्यूजलॉन्ड्री का नाम एक कॉरपोरेट इकाई के रूप में दर्ज है।  मुकदमे में कंपनी के उक्त कार्यक्रम के निर्माण में शामिल लोगों के नाम भी शामिल है, जिसमें एंकर, शोधकर्ता और संपादक के नाम शामिल हैं। प्रति के अनुसार कंपनी के निदेशक इस मुकदमे के प्रतिवादी हैं।

मुकदमे में यह आरोप लगाया गया है कि व्यंग्य वेब शो “टीवी न्यूज़सेन्स” की एक एंकर मनीषा पांडे ने 10 अक्टूबर, 2020 को अपलोड किए गए एक एपिसोड में बीसीसीएल, जैन, कुमार और शिवशंकर को बदनाम किया है। सीपीजे ने इस कार्यक्रम की समीक्षा में पाया कि उक्त एपिसोड में सुश्रि पांडे ने अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती की गिरफ्तारी के सन्दर्भ में टाइम्स नाउ और द टाइम्स ऑफ इंडिया के समाचार मानकों की आलोचना की है।

उक्त मुकदमे में यह दावा किया गया है कि यह एपिसोड “व्यंग्य, पैरोडी या स्पूफ के दायरे से परे था,” साथ ही यह  “झूठा, निराधार और अत्यधिक अपमानजनक” भी था, और इसके प्रसारण ने सहयोगियों, दर्शकों, दोस्तों, कर्मचारियों और सामान्य जनमानस के समक्ष शिवशंकर और कुमार की प्रतिष्ठा को कम कर दिया है। यह भी मांग की गयी है कि न्यूजलॉन्ड्री द्वारा उस एपिसोड को ऑफ़लाइन कर दिया जाय।

इसी मामले में यह भी दावा किया गया है कि 27 नवंबर के वेब शो, ” एक्सप्लेंड: कैसे टीआरपी में हेराफेरी करें“, जिसके एंकर पत्रकार मेघनाद थे उन्होंने  शिवशंकर को बदनाम किया और बिना अनुमति के कुमार की छवि का उपयोग किया।

सीपीजे ने उस कार्यक्रम की समीक्षा की और पाया कि उक्त कार्यक्रम  में यह आरोप लगाया गया है कि भारत की टेलीविज़न रेटिंग प्रणाली हेरफेर के अधीन थी। एवं इस कार्यक्रम में  कुमार सहित प्रमुख समाचार एंकरों की छवियों को चित्रित किया गया है और शिवशंकर की पत्रकारिता का मज़ाक उड़ाया है।

सेखरी ने सीपीजे को दूरभाष के माध्यम से बताया कि वे पांडे और मेघनाद की रिपोर्टिंग के साथ खड़े हैं , और यह कानूनी सामन एवं नोटिस आलोचकों को चुप रहने के लिये धमकाने का एक “प्रयास” था।

उन्होंने कहा, ” जरूरी संसाधनों के अभाव की वजह से सभी अक्सर छोटे संस्थानों इन्हे न्यायालय के समक्ष ले जाने से पीछे हट जाते हैं।” “लेकिन, हमारा ऐसा कोई इरादा नहीं है और अगर पूछा जाएगा तो हम अदालत में जवाब देंगे।”न्यूज़लॉन्ड्री ने इस मुकदमे को लड़ने के लिए एक कानूनी फंड लॉन्च किया है, और सेखरी ने सीपीजे को बताया कि उन्हें उम्मीद है कि अदालत मुकदमेबाजी के दौरान संस्थान पर कोई प्रतिबन्ध का आदेश नहीं देगी।

सीपीजे ने टिप्पणी के लिए बीसीसीएल के वकील स्वराज जाधव को ईमेल किया, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया है।