एरियाना न्यूज में कार्यरत टीवी एंकर मीना खैरी की 3 जून, 2021 को अफगानिस्तान के काबुल में एक कार बम हमले में मौत हो गई थी। किसी भी समूह ने उनकी हत्या की जिम्मेदारी नहीं ली और तालिबान द्वारा अगस्त 2021 में किये गये अधिग्रहण के बाद अब यह आशंका जतायी जा रही है कि अफ़ग़ानिस्तान में पत्रकारों को निशाना बनाने वाले हत्यारों को दण्ड से मुक्ति मिल जाएगी। (तस्वीर: एरियाना न्यूज टीवी/यूट्यूब)

पत्रकारों के हत्यारे अब भी हत्या करके बच निकलते हैं

सीपीजे के 2021 ग्लोबल इंप्युनिटी इंडेक्स ने यह जानकारी प्राप्त की है कि पिछले 10 वर्षों के दौरान पत्रकारों की हत्या के 81 % मामलों में किसी को भी  जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है।

जेनिफर डनहम / उप  निदेशक संपादकीय  सीपीजे 

28 अक्टूबर, 2021 को प्रकाशित

सीपीजे का वार्षिक ग्लोबल इंप्यूनिटी इंडेक्स जो उन देशों में हो रहे मामलों को उजागर करता है जहां प्रेस के सदस्यों की हत्या कर दी जाती है और अपराधी मुक्त हो जाते हैं। इस इंडेक्स के अनुसार सोमालिया अब भी पत्रकारों की अनसुलझी हत्याओं के सन्दर्भ में दुनिया का सबसे खराब देश बना हुआ है।

सूचकांक ने गत वर्ष की तुलना में थोड़ा बदलाव दिखाया है , सीरिया, इराक और दक्षिण सूडान जैसे देश उस क्रम में सोमालिया के पीछे हैं। इन देशों ने फिर से इस सूचि में सबसे खराब चार स्थानों पर कब्जा कर लिया है। गौरतलब है कि कुछ देशों में चल रहे संघर्ष, राजनीतिक अस्थिरता और कमजोर न्यायिक तंत्र पत्रकारों के खिलाफ हो रही हिंसा के दौर को कायम रखते हैं।

हालाँकि, इस  सूचकांक  का नवीनतम डेटा – जो 1 सितंबर, 2011 से 31 अगस्त, 2021 की अवधि को कवर करता है – अफगानिस्तान में पत्रकारों के सामने बढ़ते हुए खतरे को पूरी तरह से नहीं दर्शाता है। अफगानिस्तान पिछले दो वर्षों की तरह इस वर्ष भी इस सूचि में पांचवें स्थान पर है। भले ही इस  सूचकांक पर देश का स्थान नहीं बदला, लेकिन पत्रकारों के लिए जमीन पर स्थिति 2021 में नाटकीय रूप से बिगड़ गई क्योंकि तालिबान ने अगस्त के मध्य में अमेरिका और गठबंधन बलों की वापसी और राष्ट्रपति अशरफ गनी के विमान से पलायित हो जाने  के बीच अफ़ग़ानिस्तान पर  नियंत्रण स्थापित कर लिया। इस डर से सैकड़ों पत्रकार देश छोड़कर भाग गए क्यूंकि उन्हें प्रेस की स्वतंत्रता के विषय पर तालिबान के पिछले क्रूर रिकॉर्ड का डर था और उन्हें इस बात का अंदाज़ा था कि  पत्रकारों की सुरक्षा के सन्दर्भ में तालिबान के शासन का क्या मतलब हो सकता है।

10 साल की इस  सूचकांक अवधि में अफगानिस्तान में मारे गए 17 पत्रकारों के लिए न्याय पहले से ही उनकी पहुँच से दूर था, और हत्यारों के लिए दण्ड से मुक्ति की संभावना अब उतनी ही मजबूत हो सकती है जितनी कि सोमालिया और अन्य देशों में है जो इस सूचकांक की पहली पंक्ति में हैं। अफ़ग़ानिस्तान की न्यायिक व्यवस्था चरमरा रही है, अफ़ग़ानिस्तान से प्राप्त हुयी विभिन्न रिपोर्ट में कहा गया है कि अदालतें बंद हैं, वकील देश छोड़कर भाग रहे हैं, और महिला न्यायाधीशों को छिपने के लिए मजबूर किया गया है। इसके अलावा, तालिबान नेताओं द्वारा अफगानिस्तान की पिछली सरकार की तुलना में पत्रकारों के खिलाफ अपराधों के लिए तैयार हुयी इस देश की नयी संस्कृति को समाप्त करने के अनुरोध के लिए आने वाली स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय टेलीफोन कॉल का जवाब देने की संभावना भी कम है।

तालिबान के नेतृत्व द्वारा प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए किए गए वादे अधिग्रहण के कुछ दिनों के भीतर ही  खोखले साबित्र हो गए क्योंकि तालिबान लड़ाकों ने मीडिया कर्मियों के खिलाफ कई व्यावहारिक उल्लंघन किए, जिनमें मारपीट और मनमाने ढंग से हिरासत में लेना भी शामिल था। और यह देखते हुए कि 2020 में मारे गए पांच पत्रकारों में से कम से कम दो पत्रकारों – रेडियो आज़ादी के पत्रकार इलियास डेई और स्वतंत्र पत्रकार रहमतुल्लाह निकज़ाद – को उनकी मृत्यु से पहले तालिबान से धमकियाँ मिली थीं, इस बात की संभावना बहुत कम है कि अफगानिस्तान की नई तालिबान सरकार हत्यारों की तलाश करेगी।

अफ़ग़ानिस्तान के पत्रकारों पर इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों द्वारा निशाना बनाए जाने का खतरा भी बना हुआ है। इस समूह ने अप्रैल 2018 के उस आत्मघाती बम हमले की जिम्मेदारी ली है, जिसमें मीडिया को निशाना बनाया गया था, इस घटना में कम से कम नौ पत्रकार मारे गए थे। साथ ही इस समूह ने 2020 के अंत में मलालाई माईवंड जैसे पत्रकारों की जवाबी कार्यवाही में हुयी हत्याओं की भी जिम्मेदारी ली है। तालिबान द्वारा अगस्त 2021 में  किये गये अधिग्रहण के  के कुछ हफ्तों बाद इस्लामिक स्टेट के स्थानीय सहयोगी आईएसआईएस-के  ने कहा कि यह समूह उन घातक हमलों की एक श्रृंखला के पीछे भी था – जिसमें काबुल हवाई अड्डे और तालिबान के अन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया था।

10 साल की इस सूचकांक अवधि के दौरान – एक अशांत समय का ब्यौरा है जिसमें सीरिया का गृहयुद्ध, अरब सरकारों के खिलाफ व्यापक विरोध, और चरमपंथी समूहों और संगठित अपराध सिंडिकेट द्वारा मीडिया कर्मियों के खिलाफ किये गये हमले शामिल हैं – दुनिया भर में उनके काम के लिए 278 पत्रकारों की हत्या कर दी गई थी। उन मामलों में से 226 या 81% मामलों में, सीपीजे द्वारा पूर्ण दण्ड से मुक्ति दर्ज की गयी है, जिसका अर्थ है कि अपराध के संबंध में किसी को भी दोषी नहीं ठहराया गया है। पिछली सूचकांक अवधि (1 सितंबर, 2010 से 31 अगस्त, 2020) के दौरान, सीपीजे ने पाया कि पत्रकारों की हत्या के 83% पत्रकार हत्याएं अनसुलझी थीं, मामलों को सुलझाने में वृद्धिशील प्रगति की हालिया प्रवृत्ति को जारी रखा गया है। पत्रकारों की  हत्या में दण्ड से मुक्ति के कारणों एवं संभावित समाधानों पर वर्ष  2014 में किये गए परीक्षकीय विश्लेषण “द रोड टू जस्टिस” में सीपीजे ने पाया कि 2004 और 2013 के बीच 10 में से नौ मामलों में पत्रकारों के हत्यारे मुक्त हो गए हैं।

जवाबदेही की कमी की इस स्थानिक प्रकृति को दर्शाते हुए, सीपीजे द्वारा 2008 में पहली बार इन आंकड़ों को स्थान दिए जाने के बाद से इन सभी 12 देशों का नाम इस सूचकांक में कई बार प्रदर्शित हुआ है, इनमें से सात देशों का नाम हर वर्ष आया है।  

मेक्सिको को लगातार दूसरे वर्ष इस सूचकांक में छठा स्थान मिला है। २०२० और २०२१ में पत्रकारों जेवियर वाल्डेज़ कर्डेनस और मिरोस्लावा ब्रीच वेल्डुसिया की हत्या के मामलों  में महत्वपूर्ण दोष सिद्ध होने के बावजूद, मीडिया को खतरनाक दर से निशाना बनाया जा रहा है। 31 अगस्त तक, सीपीजे द्वारा किये गये शोध में पाया गया कि 2021 में मेक्सिको में कम से कम तीन पत्रकारों की उनके काम के लिए हत्या कर दी गई थी और हत्या करने वालों को दंड से मुक्ति मिली थी; 2020 में चार अन्य पत्रकारों जो भी मार दिया गया था।  अफगानिस्तान में मारे गए पत्रकारों की संख्या के बाद इन मामलों में मेक्सिको दूसरे स्थान पर है।

वैश्विक स्तर पर वर्ष 2020 में, कम से कम 22 पत्रकारों की हत्या उनके द्वारा किये जा रहे काम के बदले में हुयी है. यह आँकड़े 2019 के कुल मामलों से दोगुने से अधिक हैं। वर्ष 2021 में अब तक हुयी हत्याओं की संख्या पिछले साल की हत्या के मामलों की संख्या के करीब है, लेकिन अफगानिस्तान की राजनैतिक अस्थिरता और अन्य जोखिम वाले देशों की परिस्थितियों के कारण  वर्ष 2021के कुल मामलों की भविष्यवाणी करना मुश्किल है।

फरवरी 2015 में धर्मनिरपेक्ष ब्लॉगर अविजीत रॉय और उनके प्रकाशक फैसल अरेफिन दीपन की हत्या के मामलों में दोषसिद्धि के कारण बांग्लादेश इस साल इस सूचकांक में एक स्थान सुधार कर 11वें स्थान पर पहुंच गया है। इस मामले में प्रतिबंधित आतंकवादी समूह अंसार अल-इस्लाम के कई सदस्यों को हत्या के इन दोनों मामलों में उनकी भूमिका के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी। (सीपीजे मौत की सजा का समर्थन नहीं करता है और अपील पर “मानवीय” वाक्यों को सौंपने के लिए बांग्लादेश से आग्रह किया है।)

वर्ष 2021 में हुए हत्या के दो अन्य हाई-प्रोफाइल मामलों में दोषियों को सजा या सकारात्मक घटनाक्रम भी देखा गया है, जिसमें ऐसे देश शामिल थे जिन्हें सूचकांक में स्थान नहीं दिया गया था। माल्टा में, व्यवसायी योर्गेन फेनेच को वर्ष 2017 अगस्त में हुयी खोजी पत्रकार डाफ्ने कारुआना गैलिज़िया की हत्या में उनकी कथित भूमिका के लिए दोषी ठहराया गया था, इस कदम को दिवंगत पत्रकार की बहन कोरीन वेला ने “न्याय की खोज में एक महत्वपूर्ण मोड़” कहा है। फरवरी में, कथित हत्यारों में से एक ने दोषी ठहराया गया और कारुआना गैलिज़िया की हत्या के लिए 15 साल जेल की सजा सुनाई गई है।

और जून महीने में स्लोवाकिया में, एक अन्य पत्रकार के मामले में न्याय दिये जाने के क्रम में  सुप्रीम कोर्ट ने खोजी रिपोर्टर जान कुसियाक और उनकी मंगेतर की वर्ष 2018 में हुयी हत्या में शामिल दो प्रतिवादियों के बरी होने के आदेश को रद्द कर दिया।  जान कुसियाक को भी कारुआना गैलिज़िया की ही तरह यूरोपीय संघ में हो रहे भ्रष्टाचार पर की जा रही उनकी पत्रकारिता के लिए मारा गया था।

वैश्विक दण्डमुक्ति सूचकांक

Index rankCountryPopulation*Unsolved murders
1Somalia15.9 25
2Syria17.5 21
3Iraq40.2 18
4South Sudan11.2 5
5Afghanistan38.9 17
6Mexico128.9 27
7Philippines109.6 13
8Brazil212.6 14
9Pakistan220.9 12
10Russia144.1 6
11Bangladesh164.7 6
12India1,380.0 20
*In millions. Source: World Bank’s 2020 World Development Indicators

कार्यप्रणाली

सीपीजे का ग्लोबल इंप्यूनिटी सूचकांक प्रत्येक देश की आबादी के प्रतिशत के रूप में पत्रकारों की हत्या के अनसुलझे मामलों की संख्या की गणना करता है। इस सूचकांक के लिए सीपीजे ने 1 सितंबर, 2011 और 31 अगस्त, 2021 के बीच हुई पत्रकारों की हत्या के मामलों  की जांच की जो अनसुलझी रहीं। केवल पांच या अधिक अनसुलझे मामलों वाले देशों को ही इस सूचकांक में शामिल किया गया है। सीपीजे क़त्ल को पीड़ित के काम के प्रतिशोध के रूप में एक विशिष्ट पत्रकार की जानबूझकर की गयी हत्या के रूप में परिभाषित करता है। इस सूचकांक में उन पत्रकारों की मौत  के मामले शामिल नहीं किये गये हैं जो युद्ध में या खतरनाक कार्य के दौरान मारे गए थे, जैसे कि विरोध प्रदर्शनों की कवरेज जो हिंसक हो जाती है। मामलों को तब अनसुलझा माना जाता है जब कोई दोष सिद्ध नहीं होता है, भले ही संदिग्धों की पहचान की गई हो और वे हिरासत में हों। जिन मामलों में कुछ लेकिन सभी संदिग्धों को दोषी नहीं ठहराया गया है, उन्हें आंशिक दण्ड से मुक्ति के रूप में वर्गीकृत किया गया है। जिन मामलों में संदिग्ध अपराधियों को आशंका के दौरान मार दिया गया था, उन्हें भी आंशिक दंड के रूप में वर्गीकृत किया गया है। सूचकांक केवल उन हत्याओं का मिलान करता है जिन्हें पूरी तरह से दण्ड से मुक्त किया गया है। इसमें वे लोग शामिल नहीं हैं जहां आंशिक न्याय प्राप्त किया गया है। प्रत्येक देश की रेटिंग की गणना के लिये सितंबर 2021 में देखे गए विश्व बैंक के 2020 विश्व विकास संकेतकों के जनसंख्या डेटा का उपयोग किया गया है।